छत्तीसगढ़ के पुख़्ता शायर श्री देववंश दुबे की ग़ज़लें लम्बे समय से फ़ेसबुक
पर पढ़ता रहा हूँ और उन्हें सराहता रहा । अभी हाल में मेरे आग्रह पर उन्हों ने
अपनी कुछ ग़ज़लें मेरे पास भेजने की कृपा की । तो उन्हें आप भी पढ़ें ।
(1)
रंग उड़ने लगे गुलाबों के
ढल गए दिन हसीन ख़्वाबों के ।
देखकर कज अदाई दुनिया की
लोग आदी हुए हिजाबों के ।
ये चमन मुस्कुराए जाने कब
ज़र्द पत्ते हुए गुलाबों के ।
जिनमें लिक्खी है प्यार की भाषा
हर्फ़ ज़िंदा हैं उन किताबों के ।
क्या कहेंगे मियाँ सफ़ाई में
जब कभी आये दिन हिसाबों के ।
(2)
राहे-हक़ में ये ख़ार-सा क्या है
ये करम है तो फिर सज़ा क्या है ।
इसलिए ही लुटा-पिटा है तू
तूने हक़ के लिए किया क्या है ।
हर्फ़ क्यों ज़िंदगी के उलझे हैं
तूने अब तक पढ़ा-लिखा क्या है ।
जो मुक़र्रर ही हो गया पहले
फैसला वो भी फैसला क्या है ।
हम कहाँ शाद हैं मियाँ खुद से
क्या कहें दिल का माजरा क्या है ।
ज़िंदगी ख़ूब कट रही है यहाँ
उसकी रहमत है तो बला क्या है ।
(3)
रौशनी...फैला..रहा..हूँ
दीप..होता जा रहा हूँ ।
ज़िंदगी...जद्दोजहद...है
इसमें ही उलझा रहा हूँ ।
प्यास की कब चलने दीहै
मैं जहाँ दरिया रहा हूँ ।
पाँव से दबकर भी जैसे
घास हूँ, बढ़ता रहा हूँ ।
तोड़कर काँटों का घेरा
फूल-सा खिलता रहा हूँ ।
(4)
ऐसा मैंने सावन देखा
जिसमें प्यासा हर मन देखा ।
है तो वह धनवान बहुत पर
मन से उसको निर्धन देखा ।
ग़ैर लगा अपना चेहरा ही
युग का ऐसा दर्पन देखा ।
दिल में कुछ हरियाली छायी
सपनों का जब उपवन देखा ।
साँपों का डर निकला मन से
जब से इंसां का फन देखा ।
बाँट रहा है खुशबू सबको
ऐसा दानी चंदन देखा ।
(5)
कैसे कह दूँ कि वो पराया है
साथ उसने ही बस निभाया है ।
एक-सा तेरा मेरा साया है
कैसी क़ुदरत है,कैसी माया है ।
मैं ख़यालों में डूबा रहता हूँ
जिसने खोया है उसने पाया है ।
वो इबादत का राज़ क्या जाने
अधखिला फूल तोड़ लाया है ।
मैं लकीरों का कब फ़क़ीर रहा
मुझमें हर रास्ता समाया है ।
है वो परवरदिगार दुनिया का
मैंने सर जिसके दर झुकाया है ।
संक्षिप्त परिचय
@देववंश दुबे/mob-78790 76271
सीनियर उ.श्रे. शिक्षक, होली क्रॉस कॉ.उ.मा.विद्यालय,अम्बिकापुर
विधा-कहानी,लघुकथा,ग़ज़ल
मूल निवास-कोल्हुआ खुर्द,पोस्ट-पूर्वडीहा, पलामू,झारखंड
वर्तमान निवास-किसान राइस मिल के पीछे,कृष्ण नगर,नमना कला,
अम्बिकापुर-497001,छत्तीसगढ़
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लाजवाब गजलें ...
ReplyDeleteसभी एक से बढ़ कर एक ... जुदा अंदाज़ ...