उत्तरप्रदेशकेसोनभद्रके सुपरिचितग़ज़लकारऔरगीतकारशिवकुमारशिवके
कुछगीतयहाँप्रस्तुतकररहाहूँ।येनवगीतहीहैं।
सुधेश
गीत 1
सुखसारे
स्वप्नहोगये,
दुखढोईगली-गलीजिन्दगी।
रक्तहुई सतरंगी शाम,
कहरउठीभोरकीकिरन।
मनमेरा रामकीतरह,
ढूँढरहा कंचनीहिरन।
तरसगई
छाँवकेलिए,
सदियोंकीधूपपलीजिन्दगी।
दबीदबीअंतस कीचाह,
थकेथकेसाहसकेपाँव।
मनकासंकोचहोविवस,
हारगया अपनेसेदाँव।
वक्तकी
निगाहयूँपड़ी,
कागजकीभाँतिजलीजिन्दगी।
मौसमनेरुखबदललिया,
पानीसेउबलगयेलोग।
खुशियोंकी कामनामेरी,
कितनेदुख दर्दरहीभोग।
आशाके
पुष्पझरगये,
सूरजसीसाँझढलीजिन्दगी।
मैंनेतोप्यार हीदिया,
नफरतकेशूलसहगये।
मनमेंउत्साह जोजगे,
अन्तसके बीचरहगये।
किस्मतने
हीदियादगा,
अपनेहीआपछलीजिन्दगी।
एकमधुर बोलकेलिए,
अधरोंकीप्यासरहगई।
पहलेकी भाँतिभावना,
आजभी उदासरहगई।
पंथवही
पाँवथकगये,
मद्धमहीचालचली।
( 2 )
घरघर हमने दियेजलाये,
मंदिरमंदिर आरतीउतारी
प्यारकेबदलेप्यारनपाया,
यहकैसा संसारहोगया।
दुखकेकाँटे मिलकरबाँटे,
कोईऐसा मनुज नदेखा।
सुखकासूरजयहाँननिकला,
झूठहुई किस्मतकीरेखा।
आँगनआँगन चाँदउगाये,
देहरीदेहरीअलखप्रभाती।
रातगयेपर सपनाआया,
आतेहीभिनसार होगया।
सपनोंमेंअसीमखुशियाँथी,
नींदखुली दुखबैठाद्वारे।
तमसेढकती गईजिन्दगी,
इकइक बुझतेगयेसितारे।
हाथोंहाथों स्नेह उलीचे,
पलकोंपलकोंस्नेहसजाए।
किसीपेड़कीमिलीनछाया,
बेमौसम पतझारहोगया।
दुखमेंकिसनेसाथनिभाया,
कहनेकोयहजगअपनाहै।
सचयथार्थ सेसभीपरेहैं,
सपनातोआखिरसपनाहै।
जनजन हमनेगले लगाये,
उम्रउम्रतक साथ निभाये।
लेकिनश्रमबलिदानत्यागसब,
अंतसमय निःसारहो गया।
( 3)
पहलीकिरनतुम्हारेआँगन,
पहलादीप तुम्हारेद्वारे।
मनकी बातेंमनहीजाने,
कितनीनेह दुआयेंतुमको।
सबकुछदेने कोआतुरहैं,
कितनीअभिलाषाएंँतुमको।
पहलीबौरतुम्हारीबगिया,
पहलाफूल बसन्तबहारें।
जीवनकीआखिरक्यासीमा,
अंतकहाँ कबयहहोजाये।
क्योंनबैठकरहंंसले गालें,
मिलावक्तक्योंव्यर्थगवायें।
पहलीबूँद तुम्हारेआँगन,
कोयलगीतसाँझ-भिनसारे।
सुननेकोफिरमनआतुरहै,
पनघटपर पायलकेबोल।
शब्द प्यारके ऐसेबोलो,
पत्थरका मनजाएडोल।
पहलीदृष्टि तुम्हारेआनन,
स्नेहहृदयकीझीलकिनारे।
मेरेगीत तेरेअधरोंके,
जानेये कबकेहैंप्यासे।
कटुताकीहैदरदरछाया,
स्नेहतेरेबिनकहाँतलाशें।
पहलीनींदतुम्हारेछाजन,
साराजीवन तेरेसहारे।
गलीगलीखुशियोंकीवर्षा,
सारेपथ बिछजायेंफूल।
आगतकामनसेस्वागतकर,
जानेवाले कादुखभूल।
तुमभीपाँवबढ़ाओपावन,
हमभीअपने पाँवपसारें।
( 4 )
पथसेवापस दृष्टिनलौटी,
पावसकेपलछिनबीतगये।
एकतुम्हाराआश्वासनफिर,
आतुरमेरा मन।
उत्तेजितकर रहेभोरके,
आये हुएसपन।
पतझड़के
पेड़ोनेपहने,
पत्तेनये-नये।
सुधियोंकीचौखटपरदस्तक,
देनेलगाअतीत।
मुखरगये जानेअनजाने
भूलेबिसरेगीत।
आशाओंके
बिषमप्रहरमें,
जलतेरहेदिये।
क्षणक्षणअपनीलगेप्रतीक्षा,
कईबरसकीआस।
आनेवालाकबतकआये,
कबतकसिसकेप्यास।
मनउदास
किसकेसंबलपर,
अपनीउम्रजिये।
( 5 )
छाँवकेतले
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छाँवकेताले
पाँवहैं जले।
फूलहाथके,
शूलहोगये।
स्नेहऔरप्यार,
लोगखोगये।
फिरलरजगईं,
मनकीकोपलें।
मैंनेकुछकहा,
तूनेकुछसुना।
बातहो गई,
सबहीअनमना।
वृक्षस्नेहका,
किसतरहफले।
फिरजलेनहीँ,
घरकिसीदिये।
आँधियोंनेयों,
फैसले लिये।
रातआहकी,
यूँकहाँ ढले।
खोगई कहीं,
आसकीकिरन।
वर्फपर चले,
जलगयेचरन।
श्वेततनबदन,
मनकेसाँवले।
शिवनारायणशिव
नई,बस्ती,रावर्ट्सगंज
जिलासोनभदउ0प्र
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