आँसू दिल की भाषा है
घुटी घुटी अभिलाषा है
प्यार जिसे कहते ंउस की
यह प्यारी परिभाषा है ।
तम की निशा निराशा है
प़ात: लाती आशा है
इन्द़धनुष सा सतरंगी
दुनिया एक तमाशा है ।
दिल का दिल से संवाद है
यह वाद नहीं न विवाद है
इस घायल दिल में दर्द जो
कविता ंउस का अनुवाद है ।
दुनिया में द्वन्द्व विवाद है
वह युद्धों से बर्बाद है
बस प्यार जहाँ मेहमान है
दिल की बस्ती आबाद है ।
आज कल क्या कहें रिंश्तों से
अर्थ में तब्दील रिश्तों से
आदमीयत की चमक ग़ायब
शक्ल से दिखते फ़रिश्तों से ।
प्यार दिखता कहाँ रिंश्तों में
स्वाद किश्मिश में न पिस्तों में
जो धरे हैं ंउच्च सिंहासन
गिने जाते हैं फ़रिश्तों में ।
--सुधेश
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