Sunday 9 December 2012

कुछ ग़ज़लें

               चलें काली आँधियाँ चलते चलो 
        वक़्त लेगा  इम्तहां चलते चलो ।
        अगर दिल की आग यों जलती रहे 
        कुल जहाँ हो कहकशां चलते चलो ।
         अगर यों ही रहे आवारा क़दम 
        मिल ही जाएगा मकाँ चलते चलो  ।
        अगर ऊँची चाह की परवाज़ हो 
         सारी दुनिया गुलिस्ताँ  चलते चलो ।
         अगर शिकवा शामिलेआदत हुआ 
         बदगुमां होगी ज़बां चलते चलो  ।
         जहाँ कोई सुनने वाला ही न हो 
         दर्द रहने दो निहां  चलते चलो ।
         ख़ल्क़ से हो मुहब्बत  क्या बात है
         रहने दो ंइश्क़े बुतां चलते चलो ।
          अगर दिल में प्यार की हो रोशनी 
           चश्म कर देंगे बयां चलते चलो  ।
          प्यार के दो चार अक्षर सीख लो 
          आँख बन जाए ज़बां चलते चलो ।
अच्छी बातें कर रहे हैं लोग 
फिर भी ंखुद से डर रहे हैं लोग ।
बड़ी बातें हैं  बड़़े सिद्धान्त 
देखिंए क्या कर रहे हैं लोग  ।
नहीं जारी है यहाँ कोंई जंग 
हादसों में मर रहे हैं लोग  ।
गली में आग फैली है मगर 
अपने अपने घर रहे हैं लोग ।
पुलिस अपनी और अपनी फ़ौज 
फिर भी क्यों ंथरथर रहे हैं लोग  ।
वजह बेहतर नहीं पाए ढ़ूढ
लड़ते लड़ते मर रहे हैं  लोग । 

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