हमारे वास्ते आसानियाँ हैं
तभी सब के लिए दुश्वारियां हैं ।
उन्हीं के शीश पर हैं दु:ख सारे
तभी तो हमें सब आसानियाँ हैं ।
नयन से बरसात झरती आज कल
गई क्यों सूख दिल की क्यारियाँ हैं ।
बड़ा है शोर उन्नति का शहर में
किसी घर में मगर ख़ामोशियाँ हैं ।
यहाँ तो मासूम चेहरों पर खिली
हँसी है और बस नादानियाँ हैं ।
ग़मों को खा पीते रहे आँसू
हमारी ज़िन्दगी हैरानियाँ है ।
कुछ सुन्दर सुन्दर चेहरे हैं
पर सिर्फमुखौटे चेहरे हैं ।
सब को वाणी का सुख देते
उन के कान मगर बहरे हैं ।
उन के चरित्र दुहरे तिहरे
पर उन के बदन इकहरे हैं ।
चारा चीनी सब खा जाते
उन के दाँत सुनहरे हैं ।
कैसे जाऊँ दर्द सुनाने
उन के कुत्तों के पहरे हैं ।
यहाँ आंख ग़नगीन दिल में ख़ुशी है
यही ज़िन्दगी है यही ज़िन्दगी है ।
नहीं है कमी फूल कलियाँ बहुत हैं
कमी है अगर सिर्फ तेरी कमी है ।
यहाँ जन्नतों के फ़रिश्ते बहुत हैं
नहीं दीखता पर कहाँ आदमी है ।
यहाँ ंखून आँसू की नदिया किनारे
बड़ी सुबह होती खुदा बन्दगी है
नहीं नींद शब में नहीं चैन दिन में
यही आशिक़ी है यही ंआशिक़ी है ।
ग़मे दिल कंभी फिर ज़माने के दुखड़े
यही तो ग़ज़ल है यही शायरी है ।
--सुधेश
तभी सब के लिए दुश्वारियां हैं ।
उन्हीं के शीश पर हैं दु:ख सारे
तभी तो हमें सब आसानियाँ हैं ।
नयन से बरसात झरती आज कल
गई क्यों सूख दिल की क्यारियाँ हैं ।
बड़ा है शोर उन्नति का शहर में
किसी घर में मगर ख़ामोशियाँ हैं ।
यहाँ तो मासूम चेहरों पर खिली
हँसी है और बस नादानियाँ हैं ।
ग़मों को खा पीते रहे आँसू
हमारी ज़िन्दगी हैरानियाँ है ।
कुछ सुन्दर सुन्दर चेहरे हैं
पर सिर्फमुखौटे चेहरे हैं ।
सब को वाणी का सुख देते
उन के कान मगर बहरे हैं ।
उन के चरित्र दुहरे तिहरे
पर उन के बदन इकहरे हैं ।
चारा चीनी सब खा जाते
उन के दाँत सुनहरे हैं ।
कैसे जाऊँ दर्द सुनाने
उन के कुत्तों के पहरे हैं ।
यहाँ आंख ग़नगीन दिल में ख़ुशी है
यही ज़िन्दगी है यही ज़िन्दगी है ।
नहीं है कमी फूल कलियाँ बहुत हैं
कमी है अगर सिर्फ तेरी कमी है ।
यहाँ जन्नतों के फ़रिश्ते बहुत हैं
नहीं दीखता पर कहाँ आदमी है ।
यहाँ ंखून आँसू की नदिया किनारे
बड़ी सुबह होती खुदा बन्दगी है
नहीं नींद शब में नहीं चैन दिन में
यही आशिक़ी है यही ंआशिक़ी है ।
ग़मे दिल कंभी फिर ज़माने के दुखड़े
यही तो ग़ज़ल है यही शायरी है ।
--सुधेश
No comments:
Post a Comment
Add