मेरी कुछ ग़ज़लें
ज़बां लफ्ज़े मुहब्बत है
दिलों में पर अदावत है ।
न कोई रूठना मनना
यही तुम से शिकायत है ।
कि बस रोज़ी कमाते सब
नहीं कोई हिकायत है ।
मुहब्बत ही तो जन्नत है
अदावत दिन क़यामत है ।
पढ़ो तुम बन्द आँखों से
लिखी दिल पै इबारत है ।
ग़रीबों से जो हमदर्दी
यही सच्ची इबादत़ है ।
कभी यों ग़ज़ल कह लेता
बड़ी उस की इनायत है ।
इक्कीसवीं सदी है इक्कीसवीं सदी है
अब नेकियों पै जीती हर रोज़ ही बदी है ।
इस का न कोई चश्मा न गंगोत्री कहीं पर
बहती ही जा रही यह वक़्त की नदी है ।
पलकें बिछा के बैठे हम उन के रास्ते में
आँखों में गुज़रा जो पल जैसे इक सदी है ।
कैसे मैं आजकल की दुनिया में सफल होता
मेरी ख़ुदी के ऊपर अब मेरी बेख़ुदी है ।
गांधी न बुद्ध गौतम न रिषभ का ज़माना
अब तो ख़ुदा से ऊँची इन्सान की ख़ुदी है ।
--- सुधेश
दुनिया के सुख पल दो पल के
गहरे रंग भी होते हल्के ।
मन के उड़ने वाले घोड़े
कहीं न पहुँचे बरसों चल के ।
ज्वाला में जल कुन्दन बनता
मैं लोहा ही रहा जल जल के ।
वे अमरित पी कर भी प्यासे
कुछ प्यासे हैं गंगा जल के ।
उन के कान न चीख़ें सुनते
वे बहरे हैं कोलाहल के ।
बाहर शोर बहुत दुनिया का
मन में बोलो हल्के हल्के ।
दुनिया नाटक सुख अभिनेता
दुख आता है रूप बदल के ।
मेरी इच्छाएँ बालक सी
रह जाती हैं रोज़ मचल के ।
अब हो के मेहरबाँ कभी दर्शन तो दीजिए
जलवा हो जिस में झिलमिल दर्पण तो दीजिए ।
ये काँप से रहे हैं जुनूने इश्क़ में
होंठों को मेरे होंठ का चुम्बन तो दीजिए ।
ये ज़ुल्म की हवाएँ बरसा रही हैं शोले
माथे पै मेरे प़ेम का चन्दन तो दीजिए ।
मैदानेजंग लगती है ये आज की दुनिया
इस ज़िन्दगी को घर का आँगन तो दीजिए ।
ख़ामोशियों के लमहे हैं उम़क़ैद जैसे
ख़ामोशियाँ जो तोड़े क़न्दन तो दीजिए ।
--सुधेश
बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअब हो के मेहरबां कभी दर्शन तो दीजिए
जलवा हो जिस में झिलमिल दर्पण तो दीजिए
ये कांप से रहे हैं जुनूने इश्क़ में
होंठों को मेरे होंठ का चुम्बन तो दीजिए
वाह ! वाऽह…! वाऽहऽऽ…!
आदरणीय सुधेश जी
सादर नमन !
कोट अवश्य अंतिम ग़ज़ल के रूमानी अश्आर को किया है , लेकिन आपकी सारी ग़ज़लें काबिले-तारीफ़ हैं ।
बहुत बहुत मुबारकबाद !
ईश्वर आपको स्वस्थ रखे ताकि हमें आपका श्रेष्ठ सृजन पढ़ने-सीखने को मिलता रहे...
हार्दिक शुभकामनाएं !
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
स्वर्णकार जी , आप ने मेरी ग़ज़लों की तारीफ़ में जो लिखा उस के लिए आभारी हूँ । आशा है कि भविष्य में भी
Deleteआप का स्नेह मिलता रहेगा ।