कुछ और मुक्तक
हमारी ही वफ़ा के पेचोखम हैं
हमीं ने ही किया ख़ुद पर सितम है
हमीं ने दूध था उन को पिलाया
कि जिन साँपों के क़ैदी आज हम हैं ।
जरूरत है, तो चुप भी रह लेंगे
गालियाँ मुस्करा के सह लेंगे
लीडरों का कोई यकीं नहीं
कुछ मिलेगा तो सच भी कह देंगे।
--वेद प़काश वटुक
( कैलाश पुरी , मेरठ , उ प़ )
सब को अपना क्षेत्र प़ान्त या देश लगे है प्यारा
जैसे अपनी बेटी प्यारी अपना पुत्र दुलारा
धरती का कोना कोना है इन्द़धनुष सतरंगी
सब से सुन्दर सब से प्यारा भारत देश हमारा ।
-- डा सुधेश
उसको चैन से जीने मत दो, जो अपना हक़ मांगे है,
उसको पकड़ के धक्का दे दो, तेज जो तुमसे भागे है|
इस युग के इंसान की फितरत से इतना तो सीखो तुम,
लंगड़ी मार के उसे गिरा दो, जो भी तुमसे आगे है||
--सूर्यकुमार पांडेय
( लखनऊ उ प़ )
छोटी बात में खुश हैं
अपनी जात में खुश हैं !
अभावों में बसर जिनका
सब लम्हात में खुश हैं !!
- शरद जायसवाल
कटनी म.प्र. इंडिया
मो. 9893417522
वक्त मुश्किल है,कुछ सरल बनिए,
प्यास पथरा गई तरल बनिए,
जिसको पीने से कृण्ण मिलता हो,
आप मीरा का वह गरल बनिए ।
रमा नाथ अवस्थी
कुछ चुने हुए मुक्तक
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
आग बहती है यहाँ गंगा में जमजम में भी
कोई बतलाए कहाँ जा के नहाया जाए ।
मेरे दुःख दर्द का तुम पर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए
जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए ।
ख़ुशी जिसने खोजी वो धन ले के लौटा
हंसी जिसने खोजी चमन ले के लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो
न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा ।
-- गोपाल दास नीरज
( अली गढ़ उ प़ )
डा रश्मि के सौजन्य से ।
फ़ना के बाद हमसे बेकसोँ को कौन पूँछेगा
मगर ऐ बेकसी रोया करेगी तू हमेँ बरसोँ
करेगी याद-ए-गम तू हमेँ बार-ए-फ़ना बरसोँ
खिलाया है जिगर बरसोँ पिलाया है लहू बरसोँ ।
-- गोरख पाण्डेय
अजय कुमार दुबे के सौजन्य से ।
हमारी ही वफ़ा के पेचोखम हैं
हमीं ने ही किया ख़ुद पर सितम है
हमीं ने दूध था उन को पिलाया
कि जिन साँपों के क़ैदी आज हम हैं ।
जरूरत है, तो चुप भी रह लेंगे
गालियाँ मुस्करा के सह लेंगे
लीडरों का कोई यकीं नहीं
कुछ मिलेगा तो सच भी कह देंगे।
--वेद प़काश वटुक
( कैलाश पुरी , मेरठ , उ प़ )
सब को अपना क्षेत्र प़ान्त या देश लगे है प्यारा
जैसे अपनी बेटी प्यारी अपना पुत्र दुलारा
धरती का कोना कोना है इन्द़धनुष सतरंगी
सब से सुन्दर सब से प्यारा भारत देश हमारा ।
-- डा सुधेश
उसको चैन से जीने मत दो, जो अपना हक़ मांगे है,
उसको पकड़ के धक्का दे दो, तेज जो तुमसे भागे है|
इस युग के इंसान की फितरत से इतना तो सीखो तुम,
लंगड़ी मार के उसे गिरा दो, जो भी तुमसे आगे है||
--सूर्यकुमार पांडेय
( लखनऊ उ प़ )
छोटी बात में खुश हैं
अपनी जात में खुश हैं !
अभावों में बसर जिनका
सब लम्हात में खुश हैं !!
- शरद जायसवाल
कटनी म.प्र. इंडिया
मो. 9893417522
वक्त मुश्किल है,कुछ सरल बनिए,
प्यास पथरा गई तरल बनिए,
जिसको पीने से कृण्ण मिलता हो,
आप मीरा का वह गरल बनिए ।
रमा नाथ अवस्थी
कुछ चुने हुए मुक्तक
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
आग बहती है यहाँ गंगा में जमजम में भी
कोई बतलाए कहाँ जा के नहाया जाए ।
मेरे दुःख दर्द का तुम पर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए
जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए ।
ख़ुशी जिसने खोजी वो धन ले के लौटा
हंसी जिसने खोजी चमन ले के लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो
न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा ।
-- गोपाल दास नीरज
( अली गढ़ उ प़ )
डा रश्मि के सौजन्य से ।
फ़ना के बाद हमसे बेकसोँ को कौन पूँछेगा
मगर ऐ बेकसी रोया करेगी तू हमेँ बरसोँ
करेगी याद-ए-गम तू हमेँ बार-ए-फ़ना बरसोँ
खिलाया है जिगर बरसोँ पिलाया है लहू बरसोँ ।
-- गोरख पाण्डेय
अजय कुमार दुबे के सौजन्य से ।
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