Saturday 7 December 2013

एक ग़ज़ल


प्यार बस चाहना नहीं होता
रात भर जागना नहीं होता ।

है तभी तक ख़ुशी ख़ुशी जब तक
दर्द से सामना नहीं होता ।

वक़्त लिखता है ज़िस्म पे किस्से
उम्र भर भागना नहीं होता ।

है तभी तक शिखर शिखर जब तक
पांव से नापना नहीं होता ।

झूठ अपना नहीं सका अब तक
सत्य को मानना नहीं होता ।

जीत हो या शिकस्त जीवन में
डर के मुंह ढांपना नहीं होता ।

जिंदगी भर का साथ है जीवन
जीतना हारना नहीं होता  ।

-- दिगम्बर नसवा
( फ़रीदाबाद निवासी )
अब दुबई में ।
श्री नसवा के ब्लाग स्वप्न मेरे से साभार । 

2 comments:

  1. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

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  2. नासवा जी को पढ़ती हूँ हमेशा से ..काफी अच्छा लिखते हैं ..

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